भारत पर बाबर का आक्रमण
भारत पर बाबर के आक्रमण करने का मुख्य कारण
बाबर तैमूर के कार्यों से अत्यन्त ही प्रभावित हुआ था । उसने देखा था कि किस प्रकार तैमूर ने भारतीय धन और संसाधनों का सहारा लेकर अपने मध्य एशियाई साम्राज्य को सुदृढ़ किया था तथा राजधानी को कला - कौशल का केन्द्र बना दिया था । इतना ही नहीं , पंजाब का एक भाग तो तैमूर एवं उसके वंशजों के अधीन रहा भी था । अतः , अफगानिस्तान पर अधिकार करते ही वह पंजाब पर अधिकार करना अपना कानूनी अधिकार मानने लगा । बाबर के समक्ष एक अन्य कारण भी था , जिसने उसे पर आक्रमण करने को प्रेरित किया । वह देख चुका था कि उसके राज्य का विस्तार मध्य एशिया में उत्तर - पश्चिम में संभव नहीं था । इसलिए , एक महत्वाकांक्षी शासक होने की वजह से उसने दक्षिण - पूर्व , अर्थात् भारत की तरफ पाँव फैलाकर एक साम्राज्य की स्थापना करने का निश्चय किया ।
भारत की राजनीतिक स्थिति -
भारत की तत्कालीन राजनीतिक स्थिति बाबर की महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए पूरी तरह उपयुक्त थी । उस समय दिल्ली सल्तनत पतनोन्मुख था । दिल्ली की गद्दी पर इब्राहीम लोदी था । वह एक अयोग्य एवं अप्रिय शासक था । अनेक अफगान सरदार उसके विरोधी बन चुके थे और स्वतंत्र शासक की हैसियत से शासन कर रहे थे । देश के अन्य भागों में सल्तनत की सत्ता समाप्तप्राय थी । उत्तरी एवं दक्षिणी भारत में अनेक स्वतंत्र राज्यों का उदय हो चुका था । इन राज्यों में आपसी सहयोग और एकता की भावना नहीं थी , बल्कि प्रत्येक राज्य आपसी संघर्ष में उलझा हुआ था । इसके चलते इन देशी राज्यों की शक्ति कमजोर पड़ चुकी थी । संगठित होकर किसी विदेशी शक्ति का सामना करने की इन राज्यों में न तो इच्छा थी और न ही शक्ति । ऐसी स्थिति बाबर जैसे महत्वाकांक्षी व्यक्ति के लिए सर्वथा उपयुक्त थी । अतः उसने भारत की विजय की योजना बनाई । इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर 1526 ई . के पूर्व भी बाबर ने भारत पर आरंभिक आक्रमण किए थे ।
धनप्राप्ति की कामना -
बाबर द्वारा भारत पर आक्रमण किए जाने का एक मुख्य कारण धन प्राप्त करना भी था । उसके अपने राज्य काबुल की आय तथा इसके आर्थिक साधन अत्यन्त ही सीमित थे । इनसे सेना एवं प्रशासन का खर्च जुटाना भी कठिन था । इसके विपरीत भारत अपनी धन - संपदा के लिए विख्यात था । भारत से पर्याप्त मात्रा में धन प्राप्त कर बाबर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता था , इसलिए वह भारत की ओर आकर्षित हुआ ।
भारत में सुरक्षा -
यद्यपि बाबर ने बदख्शां , काबुल और कांधार पर अधिकार कर लिया था तथापि उसकी स्थिति निरापद नहीं हुई थी । उसे सदैव उजबेगों के आक्रमण का खतरा सताता रहता था । भारत ( पंजाब ) पर विजय प्राप्त करने से उसे उजबेगों के आक्रमण के अवसर पर बढ़िया शरण - स्थल पंजाब में मिल सकता था । इसके अतिरिक्त वह पंजाब को केन्द्र बनाकर उजबेगों के विरुद्ध अभियान भी चला सकता था ।
बाबर को आक्रमण का निमंत्रण -
1526 ई . में बाबर के आक्रमण का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण यह था कि इब्राहीम लोदी से असंतुष्ट कुछ अफगान सरदार बाबर की सहायता से इब्राहीम की सत्ता समाप्त करने की योजना बना रहे थे । इसी योजना के अन्तर्गत संभवत : आलम खां ने बाबर से मुलाकात कर सहायता की माँग की । 1524 ई . में पंजाब के गवर्नर दौलत खाँ ने अपने पुत्र दिलावर खाँ को बाबर के पास भेजकर इब्राहीम पर आक्रमण करने का प्रस्ताव रखा । दौलत खाँ ने बाबर को संभावित आक्रमण के समय सहायता करने का वचन भी दिया । इसके पूर्व ही आलम खाँ ने भी बाबर से मुलाकात कर उसके सामने प्रस्ताव रखा था कि यदि आलम को दिल्ली की गद्दी मिल जाएगी तो बाबर को लाहौर और पश्चिमी पंजाब क इलाके सुपुर्द कर देगा । इन घटनाओं ने बाबर के सामने भारतीय राजनीति की दुर्बलताओं को स्पष्ट कर दिया । अफगानों के आपसी वैमनस्य को भाँपकर उसने पंजाब की तरफ बढ़ने का निश्चय किया । जिस समय पंजाब में उपर्युक्त घटनाएँ घट रही थीं , उसी समय राणा सांगा ने भी बाबर के पास भारत पर आक्रमण का संदेश भेजा । बाबरनामा में बाबर इसे स्वीकार करता है । राणा सांगा भी अफगानों की शक्ति को समाप्त कर हिन्दू राज्य का स्वप्न संजो रहे थे । सांगा समझते थे कि अन्य मध्य एशियाई लुटेरों की भाँति बाबर भी भारत से धन लूटकर वापस चला जाएगा और उसके पश्चात् वह स्वयं दिल्ली पर अधिकार कर लेगे । उन्होंने बाबर के पास संदेश भेजा कि जब तक बाबर दिल्ली तक पहुँचेगा तब तक वह भी आगरा के निकट पहुंच जाऐगे । राणा सांगा के निमंत्रण से निश्चय ही बाबर का हौसला बढ़ा होगा और उसने भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया होगा ।
बाबर के अमीरों की प्रेरणा -
यह भी कहा जाता है कि बाबर को भारत पर आक्रमण करने की प्रेरणा उसके एक अमीर से मिली थी । बाबरनामा में बाबर इसका उल्लेख करता है । उसने कहा था , “ इसलिए आगे बढ़िए और संसार के सर्वश्रेष्ठ देश ( भारत ) पर अधिकार कर लीजिए । सिंधु के उस पार एक साम्राज्य की स्थापना कीजिए , जिसके लिए आपके पूर्वज मार्ग दिखा गए हैं । जाइए और हिन्दुस्तान के मध्य में अपना दरबार लगाइए और तातारी की बर्फ और तुषार को छोड़कर हिन्दुस्तान के सुखों का आनंद लूटिए । प्रत्येक वस्तु आपको दक्षिण की ओर आमंत्रित कर रही है । ईश्वर ने आपको काबुल तक लाया है और हिन्दुस्तान के मार्ग पर खड़ा कर दिया है । ईश्वर और मुहम्मद की आज्ञा है कि आप भारतीयों की मूर्तिपूजा का नाश करें । " बाबर पर निश्चय ही इसका गहरा प्रभाव पड़ा होगा । उपर्युक्त कथन से यह आभास भी मिलता है कि बाबर के भारत आक्रमण का एक उद्देश्य मूर्तिपूजा को समाप्त कर इस्लाम धर्म का प्रभाव बढ़ाना था , परन्तु बाबर धार्मिक उद्देश्य से नहीं बल्कि आर्थिक और राजनीतिक उद्देश्यों से ही मुख्यतः उत्प्रेरित हुआ था । वस्तुतः बाबर आरंभ से ही भारत पर विजय प्राप्त करने को लालायित था , परन्तु उसे कभी इसका उचित मौका नहीं मिल सका था । मौका मिलते ही बाबर ने भारत पर आक्रमण कर दिया ।
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